हरभजन सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी को पंजाब में बाढ़ की स्थिति से अवगत कराया

हरभजन सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी को पंजाब में बाढ़ की स्थिति से अवगत कराया

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चंडीगढ़, 31 अगस्त (आईएएनएस)। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व स्पिनर और राज्यसभा सांसद हरभजन सिंह ने भारी बारिश की वजह से पंजाब में आई बाढ़ की गंभीर स्थिति से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अवगत कराया है।

हरभजन सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक लंबा पोस्ट लिखकर पीएम को पंजाब में बाढ़ की स्थिति की जानकारी दी और किसानों की परेशानी से अवगत कराया।

उन्होंने लिखा, "कई गांव बुरी तरह प्रभावित हैं। अनगिनत किसान फसलों के नष्ट होने की वजह से भारी नुकसान झेल रहे हैं। भारत के अन्न भंडार कहे जाने वाले राज्य में, इस संकट ने लोगों को संकट में डाल दिया है। किसानों की आजीविका चौपट हो गई है।"

हरभजन ने लिखा, पंजाब को केंद्र सरकार के तत्काल समर्थन की आवश्यकता है। हम तत्काल हस्तक्षेप की अपील करते हैं ताकि आवश्यकतानुसार सेना और एनडीआरएफ सहित बचाव और राहत अभियान चलाए जा सके और प्रभावित लोगों को आपातकालीन खाद्य आपूर्ति, आश्रय और चिकित्सा सहायता प्रदान की जा सके। अपनी फसलें खो चुके किसानों के लिए वित्तीय और कृषि सहायता की तत्काल आवश्यकता है।

हरभजन ने सोशल मीडिया पर एक तस्वीर शेयर की है जिसमें वह किसानों के साथ खड़े दिख रहे हैं। दूसरी तस्वीर में बाढ़ के पानी से पूरा क्षेत्र भरा हुआ दिख रहा है।

पूर्व क्रिकेटर युवराज सिंह ने भी एक्स पर पोस्ट करते हुए पंजाब में आए बाढ़ की समस्या को उठाया है।

युवराज ने लिखा, "पंजाब कई जिलों में आई भीषण बाढ़ से मुश्किल दौर से गुजर रहा है। प्रभावित सभी लोगों की सुरक्षा के लिए प्रार्थना और राहत कार्य में जुटे लोगों के प्रति आभार।"

एक दिन पहले, राज्य के जल संसाधन मंत्री बरिंदर कुमार गोयल ने केंद्र सरकार पर कड़ा प्रहार करते हुए उसे पिछले 37 वर्षों में पंजाब में आई सबसे भीषण बाढ़ के लिए जिम्मेदार ठहराया था।

मंत्री ने मीडिया को बताया कि भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) द्वारा जून में समय पर पानी छोड़े जाने से तबाही काफी कम हो सकती थी।

मंत्री गोयल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में भारी वर्षा और राज्य की नदियों के नियमित निर्वहन में 'खाड़ों' और 'नालों' के पानी के मिलने के कारण, पंजाब अपने इतिहास की सबसे विनाशकारी बाढ़ों में से एक का सामना कर रहा है, जो 1988 की विनाशकारी बाढ़ से भी कहीं अधिक भयावह है।

उन्होंने बताया कि हालांकि रंजीत सागर बांध से रावी नदी में केवल 2.15 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था, लेकिन आसपास के राज्यों के 'खाड़ों' और 'नालों' के अतिरिक्त प्रवाह ने स्थिति को भारी विनाश में बदल दिया।

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