सीएम रेखा गुप्ता ने "विकास भी, विरासत भी" थीम पर एनडीएमसी की शैक्षिक पहल का शुभारंभ किया

सीएम रेखा गुप्ता ने "विकास भी, विरासत भी" थीम पर एनडीएमसी की शैक्षिक पहल का शुभारंभ किया

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  • शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर एनडीएमसी के 15 शिक्षक सम्मानित

नई दिल्ली, 4 सितंबर (हि.ला.)। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने आज नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर एनडीएमसी की नई शैक्षिक पहल - "विकास भी, विरासत भी" का शुभारंभ किया, जिससे एनडीएमसी स्कूलों के 28,000 से अधिक छात्र लाभान्वित होंगे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने एनडीएमसी के 15 शिक्षकों को भी सम्मानित किया।

एनडीएमसी स्कूलों के नए पाठ्यक्रम की पहल का अनावरण करते हुए दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि शिक्षक हमारे राष्ट्र के शिल्पकार हैं। उन्होंने कहा कि आज जो मूल्य और संस्कार, शिक्षक बच्चों के जीवन में बोते हैं, वही आगे चलकर भारत के भविष्य की भव्य तस्वीर को आकार देते हैं। जिस प्रकार एक छोटा सा बीज देखभाल और पोषण पाकर वटवृक्ष बन जाता है, उसी प्रकार शिक्षक के मार्गदर्शन में विद्यार्थी मजबूत, जिम्मेदार और राष्ट्रनिर्माण में योगदान देने वाले नागरिक बनते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस नए पाठ्यक्रम का उद्देश्य केवल विकास तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें विरासत को भी जोड़ा गया है। यह पहल विद्यार्थियों को आधुनिक ज्ञान के साथ-साथ भारतीय संस्कृति, जीवन मूल्यों और परंपराओं से जोड़ने का कार्य करेगी। उन्होंने कहा कि स्वदेशी को अपनाकर हम एक बार फिर भारत की आर्थिक और सामाजिक नींव को और सशक्त बना सकते हैं।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि बच्चों को प्रकृति और पर्यावरण के महत्व से अवगत कराना आवश्यक है। नदियों, जंगलों, पहाड़ों और जल-संसाधनों का संरक्षण सिखाना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इस अमूल्य धरोहर को संजो सकें।

एनडीएमसी के प्रयासों की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि एनडीएमसी ने हमेशा ही दिल्ली को स्वच्छ, हरा-भरा और सुंदर बनाने की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि राजधानी को बेहतर बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत के विज़न को साकार करना होगा—जिसमें पानी की हर बूंद बचाना, प्रदूषण पर नियंत्रण और यमुना नदी को उसकी प्राचीन गरिमा लौटाना हमारी साझा जिम्मेदारी है।

दिल्ली सरकार के मंत्री प्रवेश वर्मा ने एनडीएमसी को नए पाठ्यक्रम लागू करने पर बधाई देते हुए कहा कि एनडीएमसी अपने कार्यों में विकास के साथ-साथ विरासत मूल्यों को भी शामिल कर रही है, जिसका एक उदाहरण भारतीय वास्तुकला की झलक से निर्मित घंटाघर का शिलान्यास है। उन्होंने कहा कि यमुना में बार-बार आने वाली बाढ़ का कारण यह है कि हमने अपनी नदियों को विरासत नहीं माना और इस दृष्टि से उनका रखरखाव व संरक्षण नहीं किया। यमुना को संरक्षित करने के लिए हमें उसे विरासत का महत्व देना होगा, तभी हम किसी नदी को किसी शहर की जीवन रेखा बना सकते हैं।

एनडीएमसी अध्यक्ष केशव चंद्रा ने कहा कि एनडीएमसी का यह " विकास भी , विरासत भी " पाठ्यक्रम -  नई शिक्षा प्रणाली के तहत नए पाठ्यक्रम के साथ बदलाव की विरासत भी है। प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए आदर्श वाक्य - "विकास भी, विरासत भी" के तहत, इस नए पाठ्यक्रम में योग, अंकगणित और प्राचीन ज्ञान परंपराओं को शामिल किया गया है। इसमें नई परंपरा और ज्ञान की शिक्षा भी साथ साथ दी जाएगी, जो विकसित भारत के कदमों के तहत भारतीय विरासत को अगली पीढ़ी तक पहुँचाएगी।

उन्होंने आगे कहा कि आज एनडीएमसी के लिए एक ऐतिहासिक दिन है क्योंकि हम औपचारिक रूप से अपनी प्रमुख शैक्षिक पहल "विकास भी, विरासत भी" का शुभारंभ कर रहे हैं। यह कार्यक्रम भारत के कालातीत सभ्यतागत मूल्यों और ज्ञान प्रणालियों को एनडीएमसी स्कूलों के औपचारिक पाठ्यक्रम में एकीकृत करने का प्रयास करता है। यह प्रधान मंत्री के दृष्टिकोण को मूर्त रूप देता है, जिन्होंने अक्सर इस बात पर जोर दिया है कि हमारे राष्ट्र की प्रगति (विकास) की यात्रा हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत (विरासत) में दृढ़ता से निहित होनी चाहिए।

इस अवसर पर एनडीएमसी के उपाध्यक्ष कुलजीत सिंह चहल ने कहा कि दिल्ली की मुख्यमंत्री अपने छात्र जीवन से ही शिक्षा के क्षेत्र में नए प्रयोग करने के लिए सदैव तत्पर रही हैं। शिक्षा के क्षेत्र में एनडीएमसी का पहला उद्देश्य प्रधानमंत्री की विकसित भारत की सोच और विचार को आगे बढ़ाने में मदद करना होगा। इस मौके पर "विकास भी, विरासत भी" के विजन और शैक्षणिक दृष्टिकोण को रेखांकित करते हुए एक विशेष रूप से तैयार की गई पुस्तिका भी आज जारी की गई।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने अटल आदर्श और नवयुग स्कूलों के 15 उत्कृष्ट शिक्षकों/शिक्षाविदों को शिक्षा के क्षेत्र में उनके अनुकरणीय योगदान के लिए सम्मानित किया, उनमें - सुश्री मोनिका आनंद (प्रधानाचार्य), सुश्री रमा जोशी (हेड मिस्ट्रेस), डॉ. रचना मोहन (पीजीटी अंग्रेजी), नरेश कुमार (पीजीटी कंप्यूटर साइंस), सीवेंद्र सिंह (पीजीटी इतिहास), देब डी. दत्ता (पीजीटी चित्रकला), सुश्री कमलेश कुमारी (टीजीटी कार्य अनुभव), सुश्री रेणु सचदेवा (टीजीटी प्राकृतिक विज्ञान), हरीश कुमार रावत (टीजीटी अंग्रेजी), सुश्री वर्षा सिंह (टीजीटी अंग्रेजी), कैलाश चंद्र दक्ष (टीजीटी गणित), संजय कुमार यादव (सहायक शिक्षक), सुश्री पारुल चौधरी (टीजीटी शारीरिक शिक्षा), सुश्री एस. ग्लोरी मैरी (सहायक शिक्षक), सुश्री सरोज (टीजीटी चित्रकला ) शामिल है ।

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