नई दिल्ली, 21 अगस्त (आईएएनएस)। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को राज्यसभा में एक प्रस्ताव पेश किया। इसके अंतर्गत तीन प्रमुख विधेयकों पर संसद की एक संयुक्त समिति में शामिल होने का प्रस्ताव किया गया। गृह मंत्री ने सदन से इसकी सहमति मांगी।
राज्यसभा में जबरदस्त हंगामे और नारेबाजी के बीच केंद्रीय गृह मंत्री के इस प्रस्ताव को ध्वनि मत से स्वीकार कर लिया गया। इन विधेयकों में 130वां संविधान (संशोधन) विधेयक, केंद्रशासित प्रदेश शासन अधिनियम तथा जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम विधेयक शामिल हैं।
इन विधेयकों पर विचार के लिए दोनों सदनों की संयुक्त समिति गठित की जाएगी। केंद्र सरकार के इन विधेयकों में कई महत्वपूर्ण प्रावधान हैं। इनमें यह प्रावधान भी है कि प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री व राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेश के मंत्री के जेल जाने की स्थिति में उन्हें पदमुक्त किया जाए।
दरअसल, गंभीर आपराधिक आरोप लगने पर यदि प्रधानमंत्री, कोई मंत्री या मुख्यमंत्री लगातार 30 दिनों तक गिरफ्तार या जेल में रहता है तो उसे पद से हटाने का प्रावधान किया गया है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तीनों विधेयकों को संयुक्त संसदीय समिति को भेजने की सिफारिश की। इस दौरान विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। गृह मंत्री ने बुधवार को लोकसभा में यह सिफारिश की थी। उस दौरान भी सदन में जमकर हंगामा हुआ और विपक्ष के सांसदों ने सदन के भीतर कागज फाड़े।
गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्री ने राज्यसभा में उपसभापति के समक्ष संयुक्त संसदीय समिति के लिए राज्यसभा के 10 सदस्यों को नामित करने का प्रस्ताव किया। इस संयुक्त संसदीय समिति का उद्देश्य प्रस्तावित संशोधनों पर विचार-विमर्श करना और अपनी सिफारिशें प्रदान करना है।
गृह मंत्री ने प्रस्ताव किया कि राज्यसभा के सदस्य इस संबंधित संयुक्त संसदीय समिति का हिस्सा बनें। उन्होंने यह भी प्रस्ताव किया कि उप सभापति राज्यसभा से 10 सांसदों के नाम संसदीय समिति के लिए दें।
उन्होंने कहा कि यह सदन 130वें संविधान (संशोधन) विधेयक, केंद्रशासित प्रदेश शासन अधिनियम तथा जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम विधेयक को संसदीय समिति को भेजने का संकल्प करता है। इस सदन के दस सदस्यों को उक्त संयुक्त समिति में कार्य करने के लिए उपसभापति द्वारा नामित किया जाए।