यूएन मानवाधिकार प्रमुख ने गाजा को बताया 'कब्रिस्तान', इजरायली अधिकारियों की बयानबाजी पर जताई आपत्ति

यूएन मानवाधिकार प्रमुख ने गाजा को बताया 'कब्रिस्तान', इजरायली अधिकारियों की बयानबाजी पर जताई आपत्ति

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जिनेवा, 8 सितंबर (आईएएनएस)। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर तुर्क ने गाजा को लेकर इजरायली अधिकारियों की ओर से की जा रही बयानबाजी की कड़ी निंदा की है। उन्होंने इजरायली अधिकारियों की ओर से खुलेआम दी जा रही बयानबाजी को नरसंहार सरीखा बताया। तुर्क ने फिक्र जताते हुए "नरसंहार को समाप्त करने" के लिए निर्णायक अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई का आह्वान भी किया।

उन्होंने कहा कि फिलिस्तीनी क्षेत्र पहले से ही "कब्रिस्तान" था।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 60वें सत्र में अपने उद्घाटन भाषण में, वोल्कर तुर्क ने "गाजा में फिलिस्तीनी नागरिकों की सामूहिक हत्या (और) अवर्णनीय पीड़ा और व्यापक विनाश" की कड़ी निंदा की।

उन्होंने कहा, "गाजा में फिलिस्तीनी नागरिकों की सामूहिक हत्या, अवर्णनीय पीड़ा और व्यापक विनाश, पर्याप्त जीवन रक्षक सहायता में बाधा डालना और उसके परिणामस्वरूप नागरिकों का भुखमरी से मरना, पत्रकारों, संयुक्त राष्ट्र कर्मचारियों और गैर-सरकारी संगठनों के कार्यकर्ताओं की हत्या और युद्ध अपराध पे युद्ध अपराध… ये सब दुनिया की अंतरात्मा को झकझोर रहे हैं।"

उन्होंने गाजा में हो रही मौतों को शर्मनाक बताया। बोले, "मैं वरिष्ठ इजरायली अधिकारियों द्वारा खुलेआम नरसंहार को लेकर की जा रही बयानबाजी और फिलिस्तीनियों के साथ किए गए शर्मनाक अमानवीय व्यवहार से खौफजदा हूं।"

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त ने कहा कि 7 अक्टूबर, 2023 को इजरायल में हमास के अटैक के बाद युद्ध छिड़ा और अब लगभग दो साल बाद, "यह क्षेत्र शांति की गुहार लगा रहा है।"

उन्होंने मानवाधिकार परिषद से भावुक होकर कहा कि आज "गाजा एक कब्रिस्तान है।"

उन्होंने इजरायल को उसका कानूनी दायित्व याद दिलाते हुए कहा, "इजरायल का कानूनी दायित्व है कि वह अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के आदेशानुसार कदम उठाए, नरसंहार रोके, नरसंहार के लिए उकसाने वालों को दंडित करे और यह सुनिश्चित करे कि गाजा में फिलिस्तीनियों तक पर्याप्त सहायता पहुंचे।"

वैश्विक बिरादरी का आह्वान करते हुए आगे कहा," लेकिन हमें नरसंहार को समाप्त करने के लिए अभी कार्रवाई करने की आवश्यकता है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय अपने कर्तव्य में विफल हो रहा है। ऐसे में निष्क्रियता कोई विकल्प नहीं है।"

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