भारत के बाद इस्लामाबाद जाएंगे वांग यी, पाकिस्तान-चीन की रणनीतिक वार्ता में होंगे शामिल

भारत के बाद इस्लामाबाद जाएंगे वांग यी, पाकिस्तान-चीन की रणनीतिक वार्ता में होंगे शामिल

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इस्लामाबाद, 19 अगस्त (आईएएनएस)। भारत के बाद चीन के विदेश मंत्री वांग यी पाकिस्तान का दौरा करेंगे। वे 21 अगस्त को इस्लामाबाद जाएंगे, जहां पाकिस्तान-चीन विदेश मंत्रियों की रणनीतिक वार्ता में शामिल होंगे। इस्लामाबाद ने एक पत्र जारी कर इसकी जानकारी दी है।

इस्लामाबाद द्वारा मंगलवार को जारी किए गए पत्र में कहा गया कि पाकिस्तान के उप-प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री मोहम्मद इशाक डार के निमंत्रण पर चीन के विदेश मंत्री वांग यी 21 अगस्त को छठवीं पाकिस्तान-चीन विदेश मंत्रियों की रणनीतिक वार्ता की सह-अध्यक्षता के लिए इस्लामाबाद का दौरा करेंगे।

इस पत्र में आगे कहा गया है कि यह यात्रा पाकिस्तान और चीन के बीच नियमित उच्च-स्तरीय आदान-प्रदान का हिस्सा है, ताकि उनकी 'सर्वकालिक रणनीतिक सहयोग साझेदारी' को और गहरा किया जा सके, संबंधित मूल हितों के मुद्दों पर समर्थन की पुष्टि की जा सके, आर्थिक और व्यापार सहयोग को बढ़ाया जा सके, और क्षेत्रीय शांति, विकास एवं स्थिरता के लिए उनकी संयुक्त प्रतिबद्धता की पुष्टि की जा सके।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ को दोगुना करके 50 प्रतिशत करने के बाद भारत-अमेरिका संबंधों में बढ़ते तनाव के मद्देनजर चीनी विदेश मंत्री की यह यात्रा काफी महत्वपूर्ण है, जिसमें रूसी तेल खरीदने पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त जुर्माना भी शामिल है। इस महीने के अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा से पहले वांग यी का यह भारत दौरा है।

भारत में चीन के राजदूत शू फिहोंग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट कर कहा कि चीन और भारत ने सोमवार को द्विपक्षीय संबंधों की गति बनाए रखने पर सहमति व्यक्त की। यह सहमति चीन के विदेश मंत्री वांग यी और उनके भारतीय समकक्ष एस जयशंकर के बीच बातचीत से बनी।

वांग यी ने कहा कि 2.8 अरब से अधिक की संयुक्त जनसंख्या वाले दो सबसे बड़े विकासशील देशों के रूप में चीन और भारत को वैश्विक उत्तरदायित्व की भावना प्रदर्शित करनी चाहिए, प्रमुख शक्तियों के रूप में कार्य करना चाहिए, एकता के माध्यम से शक्ति प्राप्त करने के लिए विकासशील देशों के लिए एक उदाहरण स्थापित करना चाहिए, और विश्व बहुध्रुवीकरण और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लोकतंत्रीकरण को बढ़ावा देने में योगदान देना चाहिए।

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