भारत की पीठ में छुरा छोंपने वाले चीन से सावधान रहे मोदी सरकारः संजय सिंह

भारत की पीठ में छुरा छोंपने वाले चीन से सावधान रहे मोदी सरकारः संजय सिंह

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  • मोदी सरकार ने चीन को 40 लाख करोड़ का व्यापार दिया और बदले में उसने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान को हथियार दिएः संजय सिंह

नई दिल्ली, 31 अगस्त (हि.ला.)। आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद संजय सिंह ने मोदी सरकार द्वारा चीन के साथ बढ़ाई जा रही नजदीकियों को लेकर आगाह किया है। उन्होंने कहा कि भारत की पीठ में छुरा छोंपने वाले चीन से मोदी सरकार को सावधान रहने की जरूरत है।

संजय सिंह ने आज यहां वक्तव्य में कहा कि मोदी ने पिछले 6 वर्षों में चीन को 40 लाख करोड़ का व्यापार दिया लेकिन धोखेबाज़ चीन ने गलवान घाटी में हमारे 20 जवानों को मार दिया और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान खुलेआम पाकिस्तान को मिसाइल और हथियार दिया। इसके बावजूद एक बार फिर मोदी भक्त मोदी-जिनपिंग के गुणगान में लग गए हैं। क्या ये देश के साथ ग़द्दारी नहीं है?

उधर, दिल्ली प्रदेश संयोजक सौरभ भारद्वाज ने कहा कि मोदी जी ने ही कहा था कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते, तो फिर ये नजदीकियां क्यों बढ़ाई जा रही है?

संजय सिंह ने कहा कि पिछले दो-तीन दिन से मोदी भक्त चिल्ला- चिल्लाकर जिनपिंग-जिनपिंग कर रहे है। क्या ये लोग भूल गए हैं कि प्रधानमंत्री मोदी ने चीन को खुद करने के लिए क्या-क्या नहीं किया? मोदी ने चीन के राष्ट्रपति को अहमदाबाद में झूला झुलाया। पिछले छह साल में भारत में चीन से 40 लाख करोड़ रुपये का आयात हुआ है। यानि, प्रधानमंत्री मोदी ने चीन को 40 लाख करोड़ का व्यापार दिया और बदले में चीन ने हमें सिर्फ घाव पर घाव और धोखे पर धोखे ही दिए।

संजय सिंह ने पूछा कि क्या हम भूल गए हैं कि गलवान घाटी में हमारे 20 जवान शहीद हुए थे? जब पहलगाम में हमारी 26 बहनों के माथे के सिन्दूर उजाड़ दिए गए थे। ऑपरेशन सिन्दूर के दौरान, भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ाई चल रही थी, उस वक्त चीन सीना ठोककर पाकिस्तान के साथ खड़ा था। चीन ने पाकिस्तान को मिसाइलें, ड्रोन और तमाम हथियार दिए। भारत सरकार ने सदन में स्वीकार किया कि इस बार हम दो देशों से युद्ध लड़ रहे थे, एक पाकिस्तान और दूसरा चीन से। सरकार ने यह बात खुद संसद में स्वीकार की। तो अब अचानक क्या बदल गया है? प्रधानमंत्री कभी देश के स्वाभिमान और सम्मान को गिरवी रख कर ट्रंप के गले पड़ जाते हैं, तो कभी जिनपिंग के गले पड़ जाते हैं।

संजय सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री को हर कदम फूंक-फूंककर रखने चाहिए। चीन को लेकर इतना शोर नहीं मचाना चाहिए। कुछ दिन पहले ही चीन के राजदूत ने अडानी की संस्था द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में खुलेआम कहा था कि पाकिस्तान आतंकवाद से पीड़ित देश है। आतंकवादियों के संरक्षक देश पाकिस्तान को चीन आतंकवाद से पीड़ित देश बताता है। संयुक्त राष्ट्र में चीन ने भारत का साथ नहीं दिया। युद्ध के वक्त भी चीन पाकिस्तान के साथ खड़ा रहा। तो क्या मोदी जी चाहते हैं कि पूरा देश अचानक चीन का गुणगान करने लगे? हमने चीन से घाव झेले हैं, धोखे खाए हैं। युद्ध के समय हमने चीन का असली चरित्र देखा है, जब उसने भारत की पीठ में छुरा घोंपा। ऐसे देश से भारत को सावधान रहना चाहिए।

संजय सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने तो सदन में स्वीकार किया कि उनकी बात 9 मई को अमेरिका के उपराष्ट्रपति से हुई थी। यानी, उन्होंने भारत और पाकिस्तान के मामले में अमेरिका की मध्यस्थता स्वीकार की। यह बात उन्होंने भारत की संसद में मानी है। ट्रंप शायद तीन दर्जन से ज्यादा बार यह कह चुके है कि उन्होंने भारत को व्यापार खत्म करने की धमकी देकर युद्धविराम कराया। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के मुँह से ट्रंप का नाम एक बार भी नहीं निकला। वे तो लाल आँखें दिखाने की बात करते थे। भारत को अपनी विदेश नीति के बारे में थोड़ा गंभीरता से कदम उठाने की जरूरत है।

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री को उनकी ही बात याद दिलाना चाहता हूं। पीएम ने कहा था कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते। सौरभ भारद्वाज ने कहा कि चीन ने हमारे सैनिकों पर हमला किया, उनकी हत्या की और हमारी जमीन पर कब्जा कर लिया, जो आज भी उनके कब्जे में है। केंद्र सरकार भले ही इसे न माने, लेकिन जितनी भी अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं हैं, वे बता देंगी कि कितने सौ वर्ग किमी भारत की जमीन चीन के कब्जे में है।

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