पटना, 31 अगस्त (हि.ला./एजेंसी)। बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले कराए गए मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का विरोध हो रहा है। बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने इंडियन नेशनल कांग्रेस की 31 अगस्त की प्रेस कॉन्फ्रेंस के संबंध में प्रेस विज्ञप्ति जारी की है।
बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर प्रेस नोट जारी कर कहा कि इंडियन नेशनल कांग्रेस के जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्षों ने पिछले 1-2 दिनों में जिला निर्वाचन अधिकारियों को बिहार के करीब 89 लाख लोगों के नाम मतदाता सूची से काटने के लिए पत्र दिए हैं।
उन्होंने बताया कि नियमानुसार व चुनाव आयोग के निर्देशों के अंतर्गत कोई भी नाम काटने की आपत्तियां निर्वाचक पंजीकरण नियम, 1960 के नियम 13 के तहत सिर्फ फॉर्म 7 में दी जा सकती हैं या बूथ लेवल एजेंट्स, जोकि राजनीतिक दलों द्वारा नियुक्त किए जाते हैं, द्वारा निर्धारित प्रपत्र व लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 31 के अनुसार घोषणा के साथ दिया जा सकता है।
बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने 22 अगस्त के अंतरिम आदेश में यह स्पष्ट किया है कि 12 राजनीतिक दलों के द्वारा प्रारूप मतदाता सूची में कोई भी गलत नाम की जानकारी संबंधित निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी को निर्धारित प्रारूप में जमा कराएं। अपितु कांग्रेस पार्टी के जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्षों द्वारा दी गई आपत्तियां निर्धारित प्रपत्र में नहीं हैं। जिला निर्वाचन अधिकारी इन आपत्तियों को संबंधित निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों को उचित कार्यवाही के लिए अग्रेषित कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इस दौरान यह अपेक्षित है कि करीब 89 लाख मतदाताओं, जोकि एक बहुत बड़ी संख्या है, के नाम काटने की प्रक्रिया शुरू करने से पहले निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी, जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्षों से निर्वाचक पंजीकरण नियम, 1960 के नियम 20 (3) (बी) के अंतर्गत अपने विवेकानुसार निर्धारित शपथ लेने के बाद करीब 89 लाख मतदाताओं के नाम काटने की प्रक्रिया पर समुचित निर्णय लेंगे।
इससे पूर्व आज पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के मीडिया एवं प्रचार विभाग के अध्यक्ष पवन खेड़ा, बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम और अखिलेश प्रसाद तथा शकील अहमद सहित वरिष्ठ नेताओं ने मांग की कि हटाए गए सभी नामों का फिर से सत्यापन किया जाना चाहिए। उन्होंने चुनाव आयोग के इस दावे की आलोचना की कि बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के खिलाफ "कोई शिकायत नहीं" है, और इसके विपरीत ठोस सबूत पेश किए। पार्टी ने कहा कि उसने आयोग के पास 89 लाख शिकायतें दर्ज की हैं और उसके पास सबूत के तौर पर मुहर लगी रसीदें हैं।
खेड़ा ने कहा कि कांग्रेस मतदाता सूची में किसी भी अवैध मतदाता का नाम नहीं चाहती, लेकिन साथ ही यह भी नहीं चाहती कि जानबूझकर या अनजाने में किसी भी वैध मतदाता का नाम सूची से हटाया जाए।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि शिकायतों पर चुनाव आयोग के कड़े विरोध के बावजूद, जिला कांग्रेस अध्यक्षों ने जिला निर्वाचन अधिकारियों से हस्ताक्षरित और मुहर लगी रसीदें प्राप्त कर लीं। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने बूथ स्तरीय एजेंटों (बीएलए) की शिकायतों और आपत्तियों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है और कहा है कि शिकायतें व्यक्तिगत शिकायतकर्ताओं की ओर से होनी चाहिए, न कि राजनीतिक दलों की ओर से।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने विवरण देते हुए खुलासा किया कि चुनाव आयोग ने मतदाता सूची से नाम हटाने के लिए मोटे तौर पर चार कारण बताए हैं। 25 लाख मतदाताओं के नाम पलायन के बहाने हटाए गए, 22 लाख मतदाताओं को मृत बताया गया, 9.7 लाख मतदाताओं को उनके दिए गए पते पर 'नहीं मिला' के रूप में चिह्नित किया गया, और सात लाख नाम इस दावे पर हटाए गए कि वे कहीं और भी पंजीकृत थे।
खेड़ा ने कहा कि एसआईआर में कुछ दिलचस्प पैटर्न देखे गए, क्योंकि 20,638 बूथ ऐसे थे जहाँ 100 से ज़्यादा नाम हटाए गए। उन्होंने कहा कि 1988 बूथ ऐसे थे जहाँ 200 से ज़्यादा नाम हटाए गए। 7613 बूथों पर, हटाए गए नामों में से 70 प्रतिशत महिला मतदाताओं के थे। 635 बूथों पर, प्रवासी श्रेणी के तहत हटाए गए 75 प्रतिशत से ज़्यादा मतदाता महिलाएँ थीं। खेड़ा ने कहा कि यह अजीब लग रहा है, क्योंकि आमतौर पर काम के लिए पलायन करने वाले पुरुष ही होते हैं, महिलाओं की तुलना में ज़्यादा। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि महिलाओं को विशेष रूप से नाम हटाने के लिए निशाना बनाया गया है।
तथाकथित मृत मतदाताओं के बारे में, उन्होंने कहा कि 7,931 बूथों पर, 75 प्रतिशत मतदाताओं के नाम इसलिए हटा दिए गए क्योंकि कहा गया था कि उनकी मृत्यु हो गई है। उन्होंने बताया कि इस श्रेणी में गंभीर विसंगतियाँ हैं क्योंकि एसआईआर में मृत घोषित किए गए कई मतदाता बाद में राहुल गांधी से मिले थे।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने ज़ोर देकर कहा कि इन सभी विसंगतियों को देखते हुए, हटाए गए सभी नामों का चुनाव आयोग द्वारा पुनः सत्यापन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को 'घर-घर जाकर' सत्यापन करके ऐसे प्रत्येक मतदाता की स्थिति की पुष्टि करनी चाहिए।