ईसीआई पर राजद सांसद मनोज झा का तंज, कहा-बांग्लादेश के चुनाव आयोग को आदर्श न बनाएं

ईसीआई पर राजद सांसद मनोज झा का तंज, कहा-बांग्लादेश के चुनाव आयोग को आदर्श न बनाएं

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नई दिल्ली, 13 अगस्त (आईएएनएस)। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सांसद मनोज झा ने 'वोट चोरी' एसआईआर सहित तेजस्वी यादव के चुनाव बहिष्कार वाले बयान पर कहा कि लोग चुनाव का बहिष्कार कर सकते हैं, जैसा कि बांग्लादेश में देखने को मिला। उन्होंने चुनाव आयोग से हाथ जोड़कर विनती की है कि वह बांग्लादेश के चुनाव आयोग को आदर्श न बनाए और संवेदनशीलता दिखाएं। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को अपने इतिहास को पढ़ना चाहिए और समझना चाहिए क्योंकि संवेदना मरेगी तो यह बांग्लादेश हो जाएगा।

मनोज झा ने भाजपा के उन बयानों पर तीखी प्रतिक्रिया दी है जिसमें भाजपा की ओर से दावा किया गया है कि विपक्ष चुनाव आयोग और एसआईआर पर लोगों को गुमराह इसलिए कर रहा है क्योंकि बिहार विधानसभा चुनाव में विपक्ष की हार तय है।

उन्होंने कहा कि भाजपा और चुनाव आयोग के रिश्ते की जांच होनी चाहिए और चुनाव में जनता इन दोनों के रिश्ते की जांच सुनिश्चित करेगी।

आईएएनएस से बातचीत में उन्होंने चंडीगढ़ मेयर चुनाव में कथित अनियमितताओं का जिक्र करते हुए चुनाव आयोग और भाजपा के बीच संबंधों पर सवाल उठाया है। उनका कहना है कि पीठासीन अधिकारी की गड़बड़ी, जो सीसीटीवी में कैद हुई थी और भाजपा द्वारा उसे सही ठहराने की कोशिश की गई, दोनों के बीच गहरा रिश्ता दर्शाती है।

राजद सांसद ने आयोग और भाजपा के संबंध की जांच होनी चाहिए और मुझे लगता है कि जनता बिहार विधानसभा चुनाव में दोनों के रिश्तों की जांच करेगी। मनोज झा ने तेजस्वी यादव के उस बयान का भी समर्थन किया, जिसमें उन्होंने भाजपा नेताओं के पास दो ईपीआईसी (वोटर आईडी) होने का दावा किया है।

राजद सांसद ने कहा यह चुनाव आयोग की प्रक्रियात्मक विफलता को दर्शाता है। भीखू भाई दलसानिया लोकसभा चुनाव में गुजरात के वोटर हो जाते हैं। बिहार में इस साल चुनाव हैं, तो वह यहां के वोटर हो गए हैं। आगे बंगाल में चुनाव है, तो वह बंगाल के वोटर बन जाएंगे। लोगों के बीच में दो वोटर कार्ड को लेकर कोलाहल है।

एसआईआर के मुद्दे पर बिहार में राहुल गांधी की यात्रा पर उन्होंने कहा कि कई महत्वपूर्ण मुद्दे हैं, जिनमें एसआईआर भी एक अहम मुद्दा है। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव और राहुल गांधी हर कोने तक पहुंचेंगे। एक तरह से इसे सिर्फ़ एक पदयात्रा न मानकर जनजागरण अभियान ही मानिए।

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